भोपाल. मध्य प्रदेश में महापौर और नगरीय निकायों के अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से होगा। राज्यपाल लालजी टंडन ने राज्य सरकार के नगरीय निकाय अध्यादेश को मंज़ूरी दे दी। इसके तहत अब महापौर और अध्यक्ष का चुनाव पार्षद कर सकेंगे। राज्यपाल ने परिसीमन के बाद चुनाव के लिए मिलने वाले छह महीने के समय को घटाकर दो महीने कर दिया। इससे प्रशासन को दावे-आपत्ति के लिए भी कम समय मिलेगा।
कमलनाथ ने अध्यादेश पर हो रही चर्चा पर कहा,'जिन लोगों ने राजभवन की गरिमा के खिलाफ सार्वजनिक बयान देकर राज्यपाल पर दबाव बनाने का प्रयास किया है वह उनके निजी विचार हैं। सरकार का उनसे कोई लेना देना नहीं है। लोकतंत्र में स्वस्थ मर्यादाओं का पालन जरूरी है।'
20 वर्ष पूर्व हुआ था संशोधन
सन 2000 में मप्र की दिग्विजय सरकार ने गर निगम पालिक विधि संशोधन अध्यादेश लाकर अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली को बदल कर प्रत्यक्ष प्रणाली लागू की थी। तब भोपाल में पहली बार प्रत्यक्ष प्रणाली के तहत हुए चुनाव में कांग्रेस की विभा पटेल मेयर चुनी गई थीं। अप्रत्यक्ष प्रणाली के तहत भोपाल के आखिरी महापौर भाजपा के उमाशंकर गुप्ता थे।
दबाव बनाना मर्यादाओं का उल्लंघन
राजभवन से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि राज्यपाल टंडन मानते हैं कि संवैधानिक पदों के विवेकाधिकार पर टीका टिप्पणी करना संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन है। राज्यपाल पद की गरिमा निष्पक्ष और निर्विवादित है। इस पर किसी भी प्रकार का प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष दबाव बनाना संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन है। स्वस्थ लोकतांत्रिक परम्पराओं के लिए हानिकारक है।
राज्यपाल का फैसला सर्वमान्य- प्रतिपक्ष
राज्यपाल के अध्यादेश को मंजूरी दिए जाने के बाद नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा राज्यपाल का फैसला सर्वमान्य है। लेकिन पार्षदों की ख़रीद-फरोख्त रोकने के लिए सरकार को नगरीय निकायों में भी दल बदल कानून लागू करना चाहिए ।